
बुढ़िया और हनुमान जी की कहानी।
बहुत समय पहले की बात है। किसी गांव में एक बुढ़िया रहती थी। उसके एक बेटा व बहू भी थे, जो उसी के साथ रहते थे। एक बार जब कार्तिक का महीना आया तो बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा कि वह कार्तिक स्नान के लिए जाएगी और एक महीना वही रहेगी। यह सुन उसके बेटे ने अपनी पत्नी से कहा कि मां के लिए 30 लड्डू बनाकर दे दो ताकि वह पूजा–पाठ कर खा लिया करेगी। बहू ने गुस्से में आकर 30 लड्डू बनाकर दे दिए।बुढ़िया नदी किनारे कार्तिक स्नान को गई, और वही एक किनारे पर झोपड़ी बनाकर रहने लगी।
बुढ़िया रोज सवेरे उठकर स्नान करती और जैसे ही एक लड्डू निकाल कर खाने लगती, तो हनुमान जी बंदर के रुप में आते तो बुढ़िया वह लड्डू खुशी से बन्दर को दे देती। बुढ़िया को बन्दर को लड्डू खिलाने से बहुत खुशी मिलती थी। हनुमान जी बुढ़िया से बहुत खुश थे। इस तरह से कार्तिक का पूरा महीना बीत गया और सभी 30 लड्डू हनुमान जी बंदर के रुप में खा गए। जब कार्तिक का महीना समाप्त हो गया और बुढ़िया वापिस जाने को तैयार हुई तो हनुमान जी प्रकट हो गए उन्होंने बुढ़िया की उस झोपड़ी की जगह पर एक आलीशन महल बना दिया। बुढ़िया का पूरा महल धन–दौलत से भर गया। उसकी सारी बीमारी भी दूर हो गई।
यह सब होने पर वह अपने बेटे के पास गई। बुढ़िया को इतना धनी देखकर उसकी बहू ने मन में सोचा कि अगले कार्तिक मास में अपनी मां को कार्तिक स्नान के लिए जरूर भेजूंगी और अगले कार्तिक आने पर उसने अपनी मां को कार्तिक स्नान के लिए कहा। उसने बहुत प्यार से पूरे तीस लड्डू घी व बहुत सा मेवा डालकर अपनी मां के लिए बना कर दिए। मां कार्तिक स्नान के लिए गई और जैसे ही सुबह सवेरे नहाकर लड्डू खाने बैठती तो हनुमान जी बंदर का रुप धारण कर उसके सामने बैठ जाते तो वह पत्थर मारकर उन्हें भगा देती और कहती कि इससे मेरा पेट ही नहीं भरा तो तुम्हें कैसे दूँ। उसका रोज का यही क्रम 30 दिन तक चलता रहा। जब कार्तिक का महीना खत्म हो गया तो हनुमान जी फिर से प्रकट हुए और उन्होंने बहू की मां की झोपड़ी को कूड़े में बदल दिया और उसकी मां को डूकर बना दिया।
इधर कार्तिक का महीना समाप्त होने पर बुढ़िया की बहू ने अपने पति से कहा कि कार्तिक का महीना समाप्त हो गया है, आप मेरी मां को गाजे बाजे के साथ ले आओ। लड़का जब अपनी सास को लेने गया तो वहां देखता क्या है कि कुटिया की जगह कूड़े का ढेर लगा है, और उस पर उसकी सास डूकर बन कर बैठी है। लड़के को देखकर हनुमान जी प्रकट हो कर बोले! बेटा तुम्हारी मां ने सच्चे दिल से कार्तिक का स्नान किया था, इसी कारण तुम्हारी मां पर कार्तिक देव प्रसन्न हुए थे। लेकिन तुम्हारी सास ने लालच और पापी मन से ही यह कार्तिक स्नान किया है। उसने कार्तिक मास में अपनी बेटी के घर का अन्न खाया है, इसीलिए कार्तिक देवता इससे नाराज हो गए और उन्होंने इसे डूकर बना दिया है।
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