
कार्तिक मास की सातवीं कहानी–इल्ली और घुन की कहानी
बहुत समय पहले की बात है एक राजा के महल में एक इल्ली और एक घुन रहते थे। एक दिन इल्ली ने घुन से कहा कि चलो हम दोनों कार्तिक स्नान करने चलें। घुन ने कहा कि इल्ली तुम तो गोरी हो, तुम हो नहा लो, मेरा तो मोठ बाजरा पड़ा है मैं तो नहीं नहाऊंगा। मैं तो अभी हरे बाजरे का सीटा खाऊंगा और ठंडा पानी पियूंगा। उसके बाद इल्ली राजा की बेटी के पल्लू से लगकर कार्तिक स्नान करने चली गई और घुन नहीं नहाया। कुछ दिन बाद कार्तिक खत्म होते ही दोनों मर गए। कार्तिक का स्नान करने से इल्ली राजा के घर पैदा होती है और घुन उसी राजा के यहां गधा बनकर जन्म लेता है।

राजकुमारी बड़ी हो गई तो उसका विवाह पक्का हो गया। राजा ने धूमधाम से राजकुमारी का विवाह किया। राजकुमारी जब ससुराल जाने लगी तो उसकी पालकी अचानक से रुक गई, राजा और रानी ने कहा कि पालकी क्यों रुक गई है। तब राजा से राजकुमारी ने कहा कि पिताजी मुझे यह गधा चाहिए। राजा ने कहा यह मत ले चाहे जितनी धन–दौलत ले ले या जो कुछ और चाहे मांग ले, पर राजकुमारी नहीं मानी। बोली! नहीं मुझे तो यही चाहिए। हारकर राजा ने गधा दे दिया। गधे को रथ के साथ बांध दिया तो गधा दौड़ने लगा। महल में पहुंचने पर गधे को महल के नीचे बांध दिया। जब राजकुमारी नीचे उतरती तो गधा कहता मुझे पानी पिला दे, तब राजकुमारी ने कहा मैंने पहले ही कहा था कार्तिक स्नान कर ले पर तूने कहा था मैं तो बाजरा खाऊंगा और ठंडा–ठंडा पानी पियूंगा। राजकुमारी और गधे की बातें उसकी देवरानी–जेठानी सुन लेती हैं। वह दोनो अपने देवर के पास गई और बोली कि ये तुम किस जादूगरनी को ब्याह कर लाए हो! यह तो जानवरों से बात करती है।

अपनी भाभियों की बात सुनकर राजकुमार बोला कि मैं यह बात नहीं मानूंगा, मैं जब अपने कानों से सुनूंगा और अपनी आंखों से देख लूंगा तब ही मानूँगा। अगले दिन वह सीढ़ी पर छिपकर बैठ गया। राजकुमारी आई और गधे ने उससे फिर वही बात कही, जिस पर राजकुमारी ने फिर वही जवाब दिया। यह सब देख वह राजकुमार तलवार निकालकर सामने आया और बोला कि तुम जानवरों से कैसे बात कर सकती हो! बताओ कि तुम कौन हो? उस पर राजकुमारी ने उससे कहा कि किसी औरत का भेद नहीं खोलना चाहिए लेकिन वह अड़ा रहा कि नहीं मैं तो सब जानकर ही रहूंगा।

राजकुमार की जिद के आगे राजकुमारी हार गई और उसने पिछले जन्म की सारी बातें उसे बता दी कि वह इल्ली थी और यह गधा घुन था। इससे मैने कार्तिक नहाने की बात कही लेकिन इसने मना कर दिया। जिसके परिणामस्वरुप यह इस जन्म में गधा बन गया और मैं राजा की बेटी के पल्ले से लगकर नहाई तो मैं राजकुमारी के रुप में पैदा हुई। इसीलिए मैं तो इससे पिछले जन्म की बात कर रही थी। राजकुमारी की सारी बात सुनकर राजकुमार बोला कि क्या कार्तिक स्नान का इतना पुण्य मिलता है! राजकुमारी ने कहा कि हां बहुत पुण्य फल मिलता है।
राजकुमारी की सारी बातें सुन राजकुमार ने कहा कि यदि कार्तिक स्नान का इतना महत्व है, तो हम दोनों कार्तिक स्नान जोड़े से करेगें, और दान पुण्य भी करेगें ताकि आने वाले समय में हम सुखपूर्वक रह सकें। दोनों ने जब जोड़े से स्नान किया तो उनके पास काफी धन हुआ। इस कहानी के बाद सभी को कहना चाहिए कि हे! कार्तिक महाराज जैसा आपने इल्ली को फल दिया वैसा ही सभी को देना लेकिन घुन जैसा फल किसी को ना देना।
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