त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी,
आओ ना विषधारी,हमारी पुकार पे,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे,
त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी,
आओ ना विषधारी,हमारी पुकार पे,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे,
गले में बाबा थारे सर्प विराजे,
गले में बाबा थारे सर्प विराजे,
बाम अंग हैं पार्वती,
चौमुख दीवलो लेकर कर में,
चौमुख दीवलो लेकर कर में,
भक्त करे हैं थारी आरती,
एक बार आओ, एक बार आओ,
दर्श दिखाओ, महे हाँ दास जी थारा,
ओ कैलाशी काशी के वासी,
थे हो अविनाशी, जटा में गंगा धार के,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे,
त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी,
आओ ना विषधारी,हमारी पुकार पे,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे।।
जटा में तेरे बाबा गंगा विराजे,
जटा में तेरे बाबा गंगा विराजे,
कर त्रिशूल है विराज रहयो,
मस्तक पे भोले थारे चन्द्र विराजे,
मस्तक पे भोले थारे चन्द्र विराजे,
डमरू थारो बाज रहयो,
लेने परीक्षा, लेने परीक्षा,
भक्त सभी की, डमरू वाले बाबा,
महिमा भारी, ओ शिव त्रिपुरारी,
गावे नर और नारी,
फिर भी ना पाया पार रे,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे,
त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी,
आओ ना विषधारी,हमारी पुकार पे,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे।।
भस्मासुर को तुमने मारा,
भस्मासुर को तुमने मारा,
भक्तों को तो तारा रे,
जब जब भीड़ पड़ी भक्तों पर,
जब जब भीड़ पड़ी भक्तों पर,
छोड़ समाधि आया रे,
जय जय शंकर, जय जय शंकर,
जय प्रलयशंकर, जय हो गौरी शंकर,
हिय से चाहे, नित उठ उठ ध्यावे,
तुम्ही को मनाये,
प्रभु कर दो भव से पार रे,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे,
त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी,
आओ ना विषधारी,हमारी पुकार पे,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे।।
भोले नाथ बाबा, काशी के वासी,
भोले नाथ बाबा, काशी के वासी,
अन्न धन का भण्डार भरो,
हर लो, हर लो दुःख हमारा,
जीवन का कल्याण करो,
भगवती मंडल, थारी महिमा गावे,
सगला ना सुनावे,
ओ त्रिपुरारी, शरण प्रभु थारी,
लेवो सुधि हमारी,है थारो ही आधार रे,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे,
त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी,
आओ ना विषधारी,हमारी पुकार पे,
के हम सब आए हैं तुम्हारे द्वार रे।।
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