Sar pe uthaye vasudev kanhaiya ji/Janmashtami Bhajan
byJyoti Srivastava-
0
सर पे उठाए वसुदेव कन्हैया जी को लई के चले।
सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले,लई के चले हैं देखो, लई के चले हैं,लई के चले हैं देखो, लई के चले हैं,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले।।बिन खोले सब खुल गये ताले,बिन खोले सब खुल गये ताले,नींद मे सो गये पहरे वाले,नींद मे सो गये पहरे वाले,जब प्रगटे हैं मुरली वाले,जब प्रगटे हैं मुरली वाले,टोकरी में लियो है सुलाये,कन्हैया जी को लई के चले हैं,टोकरी में लियो है सुलाये,कन्हैया जी को लई के चले हैं,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी लई के चले,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी लई के चले।।यमुनाजी भरपूर चढ़ी थी,यमुनाजी भरपूर चढ़ी थी,श्याम जी के दर्शन की आस बढ़ी थी,श्याम जी के दर्शन की आस बढ़ी थी,चरणों को छूने को देखो खड़ी थी,चरणों को छूने को देखो खड़ी थी,रस्ता दिया है बनाय, कन्हैया जी को लई के चले हैं,रस्ता दिया है बनाय, कन्हैया जी को लई के चले हैं,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले।।जा पहुँचे हैं नन्दजी के द्वारे,जा पहुँचे हैं नन्दजी के द्वारे,कृष्ण कन्हैया बांसुरी वाले,कृष्ण कन्हैया बांसुरी वाले,मात यशोदा के बने हैं दुलारे,मात यशोदा के बने हैं दुलारे,छाती से लियो है लगाय,कन्हैया जी को लई के चले हैं,छाती से लियो है लगाय,कन्हैया जी को लई के चले हैं,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले।।नन्द के घर आनन्द भयो है,नन्द के घर आनन्द भयो है,घर घर मंगलाचार कियो है,घर घर मंगलाचार कियो है,मन में श्याम समाय गयो है,मन में श्याम समाय गयो है,मन को गयो है लुभाय,कन्हैया जी को लई के चले हैं,मन को गयो है लुभाय,कन्हैया जी को लई के चले हैं,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले,लई के चले हैं देखो,लई के चले हैं,लई के चले हैं देखो,लई के चले हैं,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले,सर पे उठाये वसुदेव,कन्हैया जी को लई के चले।।