Avsan Mata Ki Kahani/ Badhiya Aur Ladhaka Bahu Ki Kahani.

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बुढ़िया और लड़ाका बहू की कहानी।

बहुत समय पहले की बात है किसी नगर में एक बुढिया रहती थी। उस बुढ़िया के एक ही बेटा–बहू थे। बुढ़िया का बेटा कमाने के लिए दूसरे राज्य में गया हुआ था। बूढ़ी होने के कारण वह कुछ काम नहीं कर पाती थी इसलिये उसकी बहू हमेशा उसको खरी खोटी सुनाया करती थी। बेचारी बुढ़िया बहू के ताने सुनकर बहुत दुःखी होती थी परन्तु उसको कोई भी जवाब नहीं दे पाती थी। एक दिन बहू ने बुढ़िया को ताना देते हुए कहा कि अम्मा आपसे कुछ काम तो हो नहीं पाता है, दिनभर घर में बेकार ही बैठी रहती हो, लेकिन आपको कुछ काम तो करना ही पड़ेगा। बुढ़िया ने कहा कि बहू मैं इतनी बूढ़ी हूं भला मैं कौन सा काम कर सकती हूं तो बहू ने कहा कि आप पूरे गांव में दूध बांट आया करो, जब एक महीना पूरा हो जाएगा तब मैं आपसे हिसाब लूंगी। बेचारी सास दुखी मन से मजबूरी के कारण गांव में दूध बेचने के लिए तैयार हो गई। सुबह हुई तो बहू ने दूध का डिब्बा भरकर सास को दे दिया और कहा कि जल्दी दूध बेचकर घर आ जाना। सास घर से निकली और एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गई और सोचने लगी इस बुढ़ापे में मुझे भी क्या- क्या दुख झेलना पड़ रहा है। अब मैं कैसे गली-गली जाकर दूध बेचूं। इतना सोचते-सोचते दो-तीन घंटे बीत गये। इसके बाद सास ने मन में विचार करते हुए दूध को उसी पेड़ के नीचे डाल दिया और घर वापस लौट आई।

बहू ने सोचा सास सारा दूध बेचकर आ गयी है। रुपए भी मिले होंगे लेकिन मुझे क्या करना है मैं तो महीने के आखिरी में हिसाब लूंगी। इस तरह दूध ले जाते हुए सास को एक महीना बीत गया। अब वह दिन भी आ गया जब उसे हिसाब देना था। वह दूध लेकर गई और पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगी और कहने लगी- “हे भगवन्!अब मैं क्या करूं, आज बहू को दूध का हिसाब देना है, दूध तो मैने बेचा ही नहीं तो इतने रूपये कहां से लाउंगी। बहू को दूध के पैसे कहां से दूंगी। उसी समय उधर से अवसानी मईया गुजर रही थीं, उन्होंने जब बुढ़िया को रोते हुए देखा तो उसके पास जाकर उससे रोने का कारण पूछा।

इसपर बुढ़िया ने मैया से कहा- “मेरी बहू मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती है। मुझे कहती हैं कि घर में कुछ काम किया करो और रोज मुझे पूरे गांव के लिए दूध बेचने को दे देती हैं। मुझसे ठीक से चला भी नहीं जाता,मेरे घुटने बहुत दर्द करते हैं इसलिए मैं रोज दूध इस पीपल के पेड़ के नीचे डाल देती थी और बहू से कह देती थी कि सारा दूध बेच दिया। आज मुझे बहू को महीने भर के दूध का हिसाब देना है। मैंने हिसाब नहीं दिया तो वह मुझे घर से निकाल देगी। अवसान मईया को बुढ़िया पर दया आ गयी। माता ने बुढ़िया से कहा कि आज पीपल के जितने भी सूखे पत्ते गिरे हुए हैं उन्हें अपने आंचल में भर लो। घर जाकर इन पत्तों को अपनी बहू के आंचल में डाल देना। इस पर बुढ़िया ने आश्चर्य से अवसान मईया से पूछा – “अरे क्या इससे मेरा दुख दूर हो जाएगा? अवसान मईया ने कहा- “हां, जरूर हो जाएगा और जब दुख दूर हो जाए तो अवसान मईया की पूजा करना मत भूलना। बुढ़िया ने अवसान मईया की बात सुनकर आंचल में पीपल के सूखे पत्ते समेटकर अपने घर लौट गयी। सास जैसे ही आंचल में पत्ते भरकर के घर पहुंची तो उसे देख कर बहू बहुत खुश हो गई और बोली कि अरे अम्मा तुम तो सारा हिसाब से आई हो।

बुढ़िया ने कहा कि हां बहू मैं सारा हिसाब ले आई हूं तुम अपना आंचल फैलाओ मैं उसमें सब डाल देती हूं। बहू ने अपना आंचल फैला दिया तो बुढ़िया ने सारे पत्ते उसके आंचल में डाल दिए, लेकिन यह क्या उसका आंचल तो रुपयों और जेवरों से भर गया था। बुढ़िया को भी समझ आ गया कि यह सब अवसान मईया की कृपा से हुआ है। बहू सास से पूछने लगी कि उसे इतना धन कैसे मिला? सास सीधी औरत थी उसने बहू को सारी कहानी सुना दी। लालची बहू ने सास से कहा कि मैं भी वैसा ही करूंगी जैसा आपने किया है, हो सकता है कि अवसान मईया मुझे भी इसी तरह बहुत सारा धन दे दें। बहू भी अब रोज दूध लेकर जाती और पीपल के पेड़ के नीचे चढ़ा कर आती। जब महीना पूरा हो गया तो आखरी दिन बहू पेड़ के नीचे दूध चढ़ा कर रोने लगी। उसके रोने की आवाज सुन कर अवसान मईया वहां आई और उससे बोलीं कि तुम क्यों रो रही हो? अवसान मईया के पूछने पर बहू ने कहा कि उसकी सास उसको रोज दूध बेचने के लिए देती थी लेकिन मुझसे ज्यादा चला नहीं जाता इसलिए मैं रोज दूध पीपल के पेड़ में डाल देती थी। अगर मैं ये बात अपनी सास को बताऊंगी तो वो मुझे बहुत खरी खोटी सुनाएगी और मुझे घर से निकाल देगी। मेरा पति भी कमाने के लिए बाहर गया हुआ है इसलिए मेरी सास मेरे ऊपर बहुत अत्याचार करती है। उसकी बातें सुनकर अवसान मईया ने कहा कि तुम पीपल के पेड़ से गिरे हुए सूखे पत्ते अपने आंचल में समेट लो और घर जाकर आंगन में डाल देना।

बहू ने मन ही मन खुश होते हुए सारे पत्ते समेट लिए और अपने घर वापस लौट आई। घर पहुंच कर उसने खुशी खुशी अपने आंचल के पत्ते आंगन में पलट दिए, लेकिन यह क्या, जैसे ही बहू ने सूखे पत्ते आंगन में डाले वे सब सांप-बिच्छू में बदल गए और उसे काटने के लिए दौड़ पड़े। घबराकर वह अवसान मईया के पास गई तो मईया ने कहा कि तूने अपनी बूढ़ी सास के साथ बहुत गलत किया है, और मुझे झूठ बोला है कि वो तुझे सताती है। तूने उसे दो रोटी के लिए भी तरसा दिया था इसलिए तेरे साथ यह सब हुआ है। बहू अवसान मईया के चरणों में गिर कर माफी मांगने लगी। अवसान मईया को भी दया आ गई और उन्होंने बहू को क्षमा कर दिया। मईया ने बहू से कहा कि अपनी सास को मां समान समझ कर उनकी खूब सेवा करो। घर में आपस में मिलकर रहो। गुरुवार को घर में अवसान मईया की पूजा,आरती करो, अवसान मईया की कथा सुनो, इससे तुम्हारे घर में धन-दौलत और सुख की कोई कमी नहीं रहेगी। बहू ने घर जाकर सास से माफी मांगी। इसके बाद दोनों खुशी खुशी घर में रहने लगीं। गुरुवार को उन्होंने पूरे विधि विधान से अवसान मईया का आवाहन कर उनकी पूजा की और कथा पढ़कर आरती करी और भोग लगा कर प्रसाद बांटा।

हे अवसान मईया! जैसे आपने बूढ़ी सास को सहारा दिया और बहू को सबक देकर घर में सुख, शांति, समृध्दि दी वैसे ही हम सब पर अपनी कृपा बनाए रखना।

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