Popa Bai Ki Kahani–Kartik Maas Ki Kahani.

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कार्तिक मास की कहानी: पोपा बाई की कहानी।

किसी नगर में एक भाई–बहन रहा करते थे। बहन का नाम पोपा बाई था। भाई की शादी हो गई थी। पोपा बहुत ज्यादा नियम व्रत करती थी। एक दिन उसने अपने भाई व भाभी से कहा कि मैं शादी नहीं करूंगी, मेरे रहने के लिये गांव के बाहर एक झोपड़ी बनवा दो, मैं उसी में रहकर अपना जीवन व्यतीत कर लूंगी। पोपा बाई ने गांव के सभी लोगों से कहा कि आप लोग अपने-अपने गाय-बछड़े को मेरे झोपड़े के पास घास चरने के लिये छोड़ दिया करो। मैं सभी के गाय-बछड़ों की देखभाल किया करूंगी, उसके बदले जो भी बचा खुचा खाना हो वह मुझे भेज देना मैं वही खा कर रह लूंगी।

एक दिन उस नगर का राजा शिकार खेलने जंगल में आया और गांव के बाहर जंगल के पास बनी झोपड़ी देखकर रुक गया। झोपड़ी के पास जाकर उसने आवाज लगाई कि कौन है? लेकिन भीतर से कोई आवाज ना आने पर वह लगातार दरवाजा खटखटाता रहा तब पोपा बाई उठी और कहने लगी कि कौन हो तुम? जो बार-बार दरवाजा खटखटा रहे हो? राजा ने कहा कि मैं यहां का राजा हूं और तुम्हारे साथ विवाह करना चाहता हूं। पोपा बाई ने कहा कि जहां से आए हो वहीं चले जाओ! मैं किसी पराए आदमी का मुंह नहीं देखती हूं।

राजा ने पोपा बाई की एक नहीं सुनी और उसे जबर्दस्ती उठाकर ले गया तब पोपा बाई ने राजा को श्राप दे दिया कि उसका सारा राज-पाट नष्ट हो जाएगा। महल में आने पर राजा की रानियों ने सारी बात सुनकर राजा से अनुरोध किया कि इसे वहीं वापस छोड़ आओ। राजा जब पोपा बाई को वापस झोपड़ी में छोड़ने जाने लगा तो रास्ते में पाप की नदी आई जिसमें वह डूब गया। पोपा बाई धर्मराज जी के यहां पहुंची और धर्मराज जी ने उन्हें स्वर्ग का राज दे दिया। एक बार एक सेठ व सेठानी मृत्यु लोक से स्वर्ग लोक आए तो उसके द्वार बंद देखकर वह धर्मराजी जी से द्वार खोलने का आग्रह करने लगे। धर्मराज जी ने कहा कि इस द्वार पर पोपा बाई का राज है, इस पर सेठ-सेठानी ने कहा कि हम पोपा बाई को नहीं जानते हैं। धर्मराज जी ने दोनो की बात सुनकर कहा कि तुम दोनो सात दिन तक मृत्युलोक में रहो। आठ खोपरा से राई भर कर, पांच कपड़े ऊपर रखकर कहानी सुनकर उद्यापन करना और कहना कि राज है पोपा बाई का, लेखा लेगी राई राई का ।

सारे बोलो पोपा बाई की जय!

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