Chida–Chidi Ki Kahani. Kartik Maas Ki Kahani.

चिड़ा और चिड़ी की कहानी

इस कहानी को कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन पड़वा को कहते हैं। आटे से घर बनाते हैं और आटे के चिड़ा–चिड़ी बनाकर घर के बीचों बीच रखते हैं, उन्हे कपड़े पहनाते हैं और आटे के घर में घर का सारा सामान रखते हैं। चिड़ा और चिड़ी को खील, बताशे का भोग लगाते हैं। इस दिन खिचड़ी बनाते हैं और आम का आचार रखकर ठाकुर जी को भोग लगाकर खुद भी प्रसाद खाते हैं।

चार चिड़िया थीं। चारों कार्तिक मास में कार्तिक नहाती थीं। पड़वा के दिन चारों चिड़ियों ने सोचा कि चलो खिचड़ी बनाते हैं। एक चिड़िया चावल ले आई, एक चिड़िया दाल ले आई, एक चिड़िया घी ले आई और एक चिड़िया नमक ले आई। सबने मिलकर खिचड़ी बनाई। सबने सोचा कि पहले नहा लिया जाए तब खिचड़ी खाते हैं। सब चिड़ियां नहाने चली गई। पहले एक चिड़िया आई, उसे बहुत जोर की भूख लगी थी, बाकी चिड़ियां अभी आई नहीं थीं तो उसने खिचड़ी की भाप खा ली। दूसरी चिड़िया आई तो उसने पानी पी लिया। तीसरी चिड़िया ने खिचड़ी खा ली। चौथी चिड़िया आई तो उसने खुरचन खा ली। चारों चिड़िया मर गईं।

जिस चिड़िया ने भाप खाई थी वह राजा के घर राजकुमारी बनीं। जिस चिड़िया ने पानी पिया था वो कुम्हार के घर पैदा हुई। जिस चिड़िया ने खिचड़ी खाई थी उसने ब्राह्मण के घर जन्म लिया और जिस चिड़िया ने खुरचन खाई थी वो हथिनी बनी। कुम्हार की लड़की राजा के यहां दासी बनी। ब्राह्मण की लड़की राजकुमारी की सहेली बनी। हथिनी भी राजा के यहां ही थी। राजकुमारी को अपने पिछले जन्म की सारी बातें याद थीं। जब राजकुमारी की शादी हुई और वह विदा होने लगी तो राजा से बोली कि पिताजी मैं अपने साथ अपनी सहेली और दासी को भी ले जाऊंगी, राजा ने ठीक है ले जाना। राजकुमारी ने कहा कि पिताजी मुझे हथिनी भी चाहिए, राजा ने कहा अच्छा ठीक है ले जाओ। राजा ने अपने नौकर भेजे कि जाओ हथिनी को ले आओ, लेकिन हथिनी उठी ही नहीं। तब राजकुमारी खुद उसके पास गई और उसके कान में पिछले जन्म की बात कही जिसे सुनकर हथिनी तुरंत उठ गई। राजकुमार यह सब कुछ देख रहा था उसने कहा कि तुम कौन हो और हथिनी के कान में क्या कहा जिसको सुनकर हथिनी खड़ी हो गई। राजकुमारी ने कोई जवाब नहीं दिया। राजकुमार ने कहा कि सच–सच बता दो नहीं तो तुम्हारा सर काट दिया जायेगा। तब राजकुमारी ने राजकुमार को पिछले जन्म की सारी बातें बता दीं। राजा ने भी सारी बातें सुनी और कहा कि अगर कार्तिक स्नान का इतना महत्त्व है तो हम भी जोड़े से कार्तिक स्नान करेंगे और खूब दान–पुण्य करेंगे।

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